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त्रयोदश अध्याय imamimmmmmmmmm होनी चाहिए । जव वैदिक जगत का प्रामाणिक ग्रंथ योगदर्शन मनुष्यों की ऐसी लम्बी आयु वतलाता है, जिसका भाष्य महर्षि व्यासकृत है, तव तीर्थंकरों की लम्बी आयु असंभव, अप्रामाणिक
या असंगत कैसे कही जा सकती है ? . : . - वैदिक परम्परा के महामान्य ऋषिवर विश्वामित्र के तप के सम्बन्ध में कहा जाता है कि वे ८०-८० हजार वर्ष लगातार लम्बा तप किया करते थे। इससे स्पष्ट सिद्ध होता हैं कि प्राचीनकाल में बहुत लम्वी. प्रायु होती थी । यदि लाखों वर्ष की आयु को असंभव या असंगत मानलिया जाए तो ऋषि विश्वामित्र का ८०-८० हजार वर्ष का लम्बा तप कैसे संभव और संगत "हो. .. सकता है? . .
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....... ... .. इस के अतिरिक्त, भारत के मनुष्यों की ये टोटल: आयु. २६ वर्ष -- है । अमेरीका आदि देशों में कुल ४२ वर्ष की है. इससे अधिक वर्षों तक - मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। किन्तु पृथ्वीराज चौहान के समय __में भारतीय मनुष्यों की टोटल आयु ८० वर्ष की थी। इस प्रकार । थोड़ी सी शताब्दियों में ही मनुष्यों की आयु में इतनी हीनता आ
गई है तो लाखों करोड़ों, नहीं-नहीं अंकों द्वारा गणना न किए जा सकने वाले प्राचीन काल से अब तक कितनी हीनता आनी... चाहिए ?. यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है। ....... .
आशा है, उक्तः विवेचन से यह स्पष्ट हो गया होगा. कि. जैन तीर्थंकरों की लम्बी आयु तथा ऊंची काया का जो जैन-शास्त्रों में वर्णन मिलता है, वह सर्वथा सत्य ही है, उसे किसी भी प्रकार . असंभव या असंगत नहीं कहा जा सकता...... :: .. -:: पुरातनकालीन लम्बी आयु और शारीरिक लम्वाई-चौड़ाई के सम्बन्ध में लेखक ने श्री रणवीर जी, सम्पादक उर्दू-मिलाप; नई