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प्रश्नों के उत्तर.
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... .२-वण्णा-कम्मे- जंगलों का ठेका लेकर उस में से लकड़ी, बांस आदि काट कर बेचना वन कर्म कहलाता है । इस से प्रकृति को शोभा : का नाश होता है, लाखों बड़े-बड़े वृक्षों को काटने से उन की एवं उन के आश्रय में रहने वाले अनेकों जीवों की जिन्दगी समाप्त हो जाती ... है । अतः श्रावक को ऐसा व्यापार नहीं करना चाहिए। ... ३-साडी-कम्मे- गाड़ी, तांगे आदि बना कर या बनवा कर उनका .. व्यापार करना या बैल, घोड़े एवं ऊंट आदि के साथ वाहन को वेच.. ना भी साडी कर्म कहलाता है। इन सब को बनाने के लिए बहुत-सी लकड़ी की आवश्यकता पड़ती है और उस के लिए बहुत-से वृक्ष काटने होते हैं । बैल आदि पशुपों का व्यापार करने में भी महा हिंसा होती
है । क्योंकि, पशुओं को बेचते समय मनुष्य का ध्यान अधिक पसा • कमाने की तरफ रहता है, पशु को सुरक्षा की तरफ नहीं रहता। इससे . पशु का जीवन संकट में पड़ जाता है। अतः श्रावक को ऐसा व्यापार
नहीं करना चाहिए। ... ४-भाड़ी-कम्मे- यह कार्य साडी कम्मे से संबंधित है । साडी कम्मे ' में गाड़ी प्रादि बेचने के लिए रखी जाती है और इस में भाड़ा कमाने - ... के लिए गाड़ो. तांगा, रिक्शा आदि रखे जाते हैं। यह कार्य इसलिए
पापमय माना गया है कि इसमें पशु एवं मनुष्य को दया नहीं रहती। क्योंकि गाड़ी, तांगा या रिक्शा का मालिक उक्त साधनों से अधिक
पैसा प्राप्त करने की दृष्टि से उस पर पशु एवं मनुष्य की शक्ति से .. अधिक सवारी चढा लेता है या अधिक बोझ लाद देता है तथा अधिक . समय तक उससे काम लेता है। इस से पशु एवं मनुष्य को दुःख,वेदना
एवं संकट का सामना करना पड़ता है। अतः श्रावक को ऐसा व्यव
साय नहीं करना चाहिए। ... : .:. ......... ..... ५.फोड़ी-कम्मे- ज़मोन को-फोड़-खोद कर उस में से निकले हुए ।