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..... नोटअध्याय . . . . ६१७ को राज्य देकर चैत्र कृष्णा अष्टमी को मुनि-दीक्षा ली। एक . हजार वर्ष तक घोर तपस्या करके. चार कर्मों को ...खपा कर फाल्गुण कृष्णा एकादशी को केवल-ज्ञान (बह्म-ज्ञान) पाया और . साधु, साध्वी आदि चतुर्विध तीर्थ की स्थापना करके तीर्थंकर कहलाए । एक लाख पूर्व तक विश्व को अहिंसा, संयम और तप का सदुपदेश सुनाकर अन्त में कैलाश पर्वत पर माघ कृष्णा त्रयोंदशी को शेप चार कर्मों का नाश करके ये निर्वाण-मोक्ष को प्राप्त हुए । आप के साथ दस हजार अन्य साधु भी मुक्त हुए थे।
- भगवान ऋषभदेव का जीवन त्रिलोक पूज्य जीवन है । सर्वत्र ... इन का सादर स्मरण किया जाता है । ऋग्वेद, विष्णु-पुराण,
अग्नि-पुराण एवं भागवत आदि वैदिक साहित्य में भी भगवान ऋषभदेव का गुण-कोर्तन किया गया है । भगवान की महत्ता का अधिक क्या वर्णन किया जाए ? वैदिक धर्म ने भी इन्हें., अपना अवतार स्वीकार कर लिया है।
- भगवान अजितनाथ जी... जैन धर्म के आप दूसरे तीर्थकर माने जाते हैं । आप का जन्म .. अयोध्या नगरीः इश्वाकुवंशीय क्षत्रिय-सम्राट् जितशत्रु राजा के .. यहां हुआ था । आप की माता का नाम विजया देवी था । पाप । का जन्म माघ शुक्ला अष्टमी को, दीक्षा माघ कृष्णा नवमी,केवलज्ञान पौष कृष्णा एकादशी और निवारण चैत्र शुक्ला पंचमी को ..
हुआ था । आप की निवारण भूमि सम्मेतशिखर है, जो आज-कलं. .. बंगाल में "पारसनाथ पहाड़" के नाम से प्रसिद्ध है । आप विवाहित
थे । ७१ लाख पूर्व तक आप गृहस्थ अवस्था में रहे और १ लाख ... . पूर्व आपने संयम का पालन किया । तथा एक हजार साधुओं के ...