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त्रयोदश अध्याय
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भगवान सुमतिनाथ जी -
आप जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर हैं । आप का जन्म अयोध्या नगरी (कौशलपुरी) में हुआ । आप के पिता महाराजा मेघरथ और माता श्री सुमंगला देवी थी। आप का जन्म वैशाख शुक्ला अष्टमो को, दीक्षा वैशाख शुक्ला नवमी को केवल - ज्ञान चैत्र शुक्ला एकादशी और निर्वाण चैत्र शुक्ला नवमी को हुआ । आप की निर्वाण - भूमि भी सम्मेतशिखर है । श्राप जव माता के गर्भ में आए थे तो उस समय ग्राप की माता की बुद्धि बहुत स्वच्छ और तीव्र हो गई थी, इसलिए आप का नाम सुमतिनाथ रखा गया था । ग्राप विवाहित थे । आप ३६ लाख पूर्व गृहस्थ अवस्था में रहे और एक लाख पूर्व तक आपने संयम का पालन किया । तथा एक हज़ार साधुग्रों के साथ आपने निर्वारण-पद पाया था ।
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- भगवान पद्मप्रभ जी
आप छठे तीर्थंकर हैं । आप का जन्म कौशाम्बी नगरी के राजा श्रीधर के यहां हुआ था । माता का नाम सुसीमा था । आप का जन्म कार्तिक कृष्णा द्वादशी को, दीक्षा कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी को, केवल - ज्ञान चैत्र शुक्ला पूर्णिमा और निर्वाण मार्गशीर्ष कृष्णा एकादशी को हुआ । आप की निर्वारण-भूमि भी सम्मेतशिखर है । आप विवाहित थे । आप २६ लाख पूर्व तक गृहस्थावस्था में रहे और एक लाख पूर्व तक आपने संयम का पालन किया । अन्त में, एक हज़ार मुनियों के साथ आप निर्वाण को प्राप्त हुए ।
भगवान सुपार्श्वनाथ जी -
ग्राप सातवें तीर्थंकर हैं। आप की जन्म भूमि काशी (बनारस) थी । पिता महाराजा प्रतिष्ठेन और श्राप की माता श्री पृथ्वी देवी