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प्रश्नों के उत्तर
राजा मेघरथ में रूप में श्राप ने कबूतर की रक्षा की थी, बदले में शिकारी को अपने शरीर का मांस काट कर दे दिया था । आप विवाहित थे । श्राप ७५ हजार वर्ष गृहस्थावस्था में रहे और २५ हज़ार वर्ष तक आप ने संयम का पालन किया और सम्मेतशिखर पर 8 सौ मुनियों के साथ ग्राप मोक्ष में गए 1
भगवान कुन्थुनाथ जी -
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आप जैन-धर्म के सतरहवें तीर्थंकर माने जाते हैं । आप का जन्म-स्थान हस्तिनापुर था, ग्राप के पिता सूरराजा थे और माता का नाम श्री देवी था । ग्राप का जन्म वैशाख कृष्णा चतुर्दशी को, दीक्षा चैत्र कृष्ण पंचमी को केवल ज्ञान चैत्र शुक्ला तृतीया को और निर्वारण वैशाख कृष्णा प्रतिपदा ( एकम) को हुआ था । ग्रापं की निर्वारण - भूमि सम्मेतं शिखर है । आप भारत के छठे चक्रवर्ती राजा भी थे । आप विवाहित थे, ग्राप ७१। हज़ार वर्ष गृहस्थाश्रम में रहे और आप ने २३|| हजार वर्ष संयम का पालन किया । तथा एक हज़ार मुनियों के साथ ग्राप ने सिद्ध पद पाया था ।
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भगवान अरहनाथ जी
आप को श्ररनाथ भी कहा जाता है। आप जैन-धर्म के अठारहवें तीर्थंकर हैं । श्राप का जन्म स्थान हस्तिनापुर था । आप के पिता सुदर्शन राजा थे और माता का नाम श्री देवी था । आप का जन्म मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को, दीक्षा मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी को, केबल - ज्ञान कार्तिक शुक्ला द्वादशी और निर्वारण मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी को हुआ । श्राप की निर्वारण-भूमि सम्मेतशिखर थी। ग्रापं भारत के सातवें चक्रवर्ती राजा भी हुए। आप विवाहित थे, और ६३ वर्ष हज़ार वर्ष गृहस्थ - आश्रम में रहे,
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