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..................... प्रश्नों के उत्तर .........
rrrrrrrr १५-असइजण--पोसणिया- कम्मे-- व्यभिचारिणी स्त्रियों का: । पोषण करके उन के द्वारा आजीविका चलाना । यह कार्य समाज.' एवं देश में दुराचार बढ़ाने वाला तथा लोगों द्वारा निन्दनीय होने से श्रावक के लिए सर्वथा त्याज्य है।
इस तरह उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत के संबंधी ५ अतिचार और व्यापार-धन्धे संबंधी १५ अतिचार बताए गए हैं। श्रावक को . अपने जीवन को सीधा-सादा एवं कम बोझिल बनाने के लिए उपभोग-परिभोग-परिमाण व्रत बहुत उपयोगी है और उक्त व्रत का निरतिचार पालन करने के लिए उपर बताई गई २० बातों से सदा वच कर रहना चाहिए।
- अनर्थ-दण्ड-विरमण व्रत
अर्थ- प्रयोजन या आवश्यकता को कहते हैं। अपने जीवननिर्वाह एवं परिवार का परिपालन करने के लिए किए जाने वाले
आवश्यक कार्य में होने वाली हिंसा को अर्थ-दण्ड कहते हैं और आव.. श्यकता के न होने पर भी की जाने वाली हिंसा को अनर्थ-दण्ड कहते .
हैं। जैसे एक व्यक्ति अपने खेत का सिंचन करने के लिए हज़ार गेलन .. - पानी का उपयोग करता है और दूसरा व्यक्ति पीने के लिए एक लोटा ..:
पानी भरता है और उस में से प्राधा लोटा पानी पीता है और शेष .. पानी यों ही फेंक देता है । एक ओर हजार गेलन पानी की हिंसा हैं .. : और दूसरी ओर सिर्फ आधा लोटा पानी का अपव्यय हुआ है । जीवा..
की संख्या की दृष्टि से हजार गेलन पानी आधा लोटा पानी से अनेकों .
गुना अधिक अपराध का कारण है । परन्तु सिद्धांत की दृष्टि से देखते : .: हैं तो विवेक पूर्वक हजार गेलन पानी का उपयोग करने वाला व्यक्ति ...