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प्रश्नों के उत्तर
हैं, वे कुछ असंभव सी प्रतीत होती हैं । कैसे माना जाए कि ये सब सत्य हैं ?
उत्तर-उपराउपरी देखने से ये बातें असम्भव और असंगत .. अवश्य प्रतीत होती है। परन्तु प्राध्यात्मिक योग के सामने ये कुछ भी असम्भव नहीं है। आजकल भौतिक विद्या के चमत्कार ही कुछ कम पाश्चर्य-जनक नहीं हैं । तव आध्यात्मिक विद्या के . चमत्कारों का तो कहना ही क्या है ? आज के साधारण योगी भी... कभी-कभी अपने चमत्कारों से मानव-बुद्धि को हतप्रभ कर देते हैं, तो फिर तीर्थंकर तो योगी राज हैं । उनके आध्यात्मिक वैभव . की तुलना तो किसी से की ही नहीं जा सकती। अतः तीर्थंकरों के .. जीवन में जो बातें बताई जाती हैं, वे सर्वथा सत्य हैं, उन में अस-.. त्यता जैसी कोई चीज़ नहीं है। ..............
. दूसरी बात, माज का मनुष्य कूपमण्डूक है, उसे “समुद्र की . गहराई, लम्बाई तथा चौड़ाई का कैसे आभास हो सकता है ? .. वासना और कामना का दास मनुष्य अध्यात्मयोग की उच्चता के चमत्कारों का कैसे अनुमान लगा सकता है ? अभी की बात है, वनस्पति में कोई जीव नहीं मानता था, विमानों को एक कल्पना . मात्र समझा जाता था, किन्तु जब विज्ञान ने अंगड़ाई ली और .. उन्नति ने चरण आगे बढाए तो ये सब असंभव बातें भी संभव . . बन गई । भला चन्द्रलोक जाने का किसी को कभी स्वप्न भी ..
आया था ? पर आज उसके लिए सक्रिय क़दम उठाए जा रहे हैं। - अतः इस समय जो समझ में नहीं आ रहा है, बुद्धि जिस को इस . ... समयं स्वीकार नहीं करती, वह सब असम्भव है, ऐसा नहीं समझ . - लेना चाहिए । भविष्य के गर्भ में बहुत कुछ छुपा पड़ा है,जो योग्य । ... साधन मिलने पर अभी हम ने समझता है । न्यूटन ने ठीक ही कहा : -