________________
प्रश्नों के उत्तर
.ammarwarwwww
arva~
चाहिए।
चौर्य व्रत का. भली भांति परिपालन करने के लिए ऊपर कुछ " बातें बताई गई हैं। इस से यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रावक को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे चोरी के काम को ज़रा भी प्रोत्साहन मिले । जनधर्म की दृष्टि से वे सभी कार्य स्तेय-चोरी में गिने जाते हैं, जिनके द्वारा दूसरे के धन, शक्ति एवं अधिकारों का अपहरण किया जाता है। वैदिक ग्रन्थों में भी कहा है-"जो व्यक्ति अपना पेट ... भरने के लिए दूसरों के भोजन का अपहरण करता है अर्थात् ग़रीबों . को भूखे रखकर, उनका शोषण करके अपने ऐशोराम के साधन जुटाता : है । वह समाज एवं राष्ट्र का चोर है और दण्ड पाने के योग्य है
यावद् भ्रियते जठरं तावत् सत्त्वं हि देहिनाम् ।
अधिकं योऽभिमन्येत सस्तेनो दण्डमर्हति ॥* इस दृष्टि से सोचते हैं तो जो राजा.या राजनेता अपनी प्रजा के .. न्याय - प्राप्त राजनैतिक, सामाजिक एवं नागरिक अधिकारों का .
अपहरण करता है। अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए जनता .. - पर आवश्यकता से अधिक टैक्स लगा कर या दूसरे अनतिक तरीकों से ..
उसका शोषण करता है, जनता की सुख-सुविधा का ख्याल नहीं रखता.. '
है तथा उसकी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है तो वह-राजा या - राजनेता शासक नहीं, शासक के रूप में चोर है, लुटेरा है । . .. - अपने आप को धर्म का ठेकेदार मानने वाले संकीर्ण हृदयं वालेः । .. स्वर्ण लोग अपने जातीय एवं धन के गर्व में हरिजन एवं अन्य साधा- .. .. रण तथा निर्धन लोगों के धार्मिक, सामाजिक एवं मानवीय अधिकारों . का अपहरण करते हैं । तथा वे धर्मनेता या धर्म गुरु जो अपने शिष्यों
www.* भागवत