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एकादश: अध्याय
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करे। ..... ... ३-गाय के सम्बन्ध में झूठ नहीं बोलना। भारत कृषि प्रधान देश रहा है। पुरातन युग में बड़े-बड़े पूंजीपति भी स्वयं खेती करते थे। कृषि के लिए पशु का सहयोग लेना आवश्यक है। हल चलाने में तथा खेत में उत्पन्न हए माल को ढोकर घर लाने में बैलों की प्रविश्य- . कता पड़ती थी और दूध-दही-घी आदि के लिए तथा बैल प्राप्त करने के लिए गार्य का परिपालन करना जरूरी था। यही कारण है कि भारत में गाय का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। उपासक देशांग सूत्र में श्रावकों ने जो पशुओं की मर्यादा रखी थी, उसमें गायों का उल्लेख
है, अन्य पशुओं का नहीं। इस से स्पष्ट होता है कि उस युग में गाय ... की प्रमुखता थी और इसी प्रमुखता के कारणं प्रस्तुत प्रकरण में गाय
शब्द का उल्लेख किया। इससे उसका अर्थ केवल गाय न समझ कर . गाय-भैंस, वकरी, घोड़ा, ऊंट यादि पालित पशु समझना चाहिए। ...... उसके लिए झूठ नहीं बोलने का तात्पर्य यह है- कम दूध देने
वाले पशु को अधिक दूध देने वाला या अधिक दूध देने वाले को -कम-दूध देने वाला. बताना । अच्छे एवं शान्त स्वभाव वाले पशु को बुरा और मारने वाला तथा बुरे और मारने वाले पशु को अच्छा और शान्त प्रकृति वाला बताना। तेज गति से दौड़ने वाले घोड़े आदि को मन्द गति वाला तथा मन्द गति वाले को तेज गति वाला बताना। अल्प मूल्यवान को अधिक मूल्यवान और अधिक मूल्यवान को अल्प मूल्य वाला बताना । इत्यादि सभी विकल्प गौ सम्बन्धी असत्य के अन्र्तगत आ जाते हैं। श्रावक इस तरह की भाषा का उपयोग नहीं करता। .. ४ न्याससम्बन्धी झूठ का तात्पर्य यह है- किसी व्यक्ति को