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प्रश्नों के उत्तर
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४-लोभ- लालची व्यक्ति अपना स्वार्थ साधने के लिए श्रसत्य
वोलता है ।
५-राग- मोह के कारण भी मनुष्य झूठ बोलता है ।
६- द्वेष- मनुष्य द्वेष के कारण भी विरोधो व्यक्ति पर असत्य दोषारोपण कर देता है ।
७ - हास्य- हंसी-मजाक में झूठ बोला जाता है ८-भय- डर के कारण झूठ बोला जाता है ।
९- लज्जा - लज्जावश अपने दुष्कर्म को छिपाने के लिए झूठ बोला जाता है ।
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१०- क्रीड़ा- कोड़ा के लिए भी असत्य बोला जाता है ।
११- हर्ष - हर्ष के प्रवेश में भी मनुष्य अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाता है । उसका प्रवाह प्रसत्य की ओर मोड़ खा लेता है । १२- शोक - वियोग के समय भी मनुष्य अपना मानसिक सन्तुलन खो देता है । इस से उसकी वाणी में विवेक नहीं रह पाता ।
१३- दाक्षिण्य-- 'दूसरों के सामने अपनी निपुणता या चतुरता का प्रदर्शन करने के लिए भी मनुष्य झूठ बोलता है ।
१४ वहुभाषण-- ग्रावश्यकता से अधिक वोलने वाला मनुष्य भो सत्य बोलता है ।
जब मनुष्य मनोविकारों के प्रवाह में वह जाता है तब वह अपने स्वभाव को भूल जाता है । उस समय वह यह नहीं सोच पाता कि वह क्या कर रहा है और क्या बोल रहा है ? अतः सत्य आदि व्रतों की साधना करने वाले साधक को उपरोक्त एवं इस तरह के सभी कभी विकार
वह सत्य की
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मनोविकारों से बच कर रहना चाहिये । यदि प्रसंगवश जाग उठे तो उस समय मौन रहना चाहिए। जिस से
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