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प्रश्नों के उत्तर
४६८ भुला बैठे हैं । भोजन के सम्बन्ध में वे अपने मार्ग से गिर चुके हैं। प्रस्तु, उन्हें फिर से जागृत हो कर अपने नियमों का मजबूती से परिपालन .. करना चाहिए। . . . . . . . .... .
बिना छना हुआ पानी पीने का निषेधः । : पानी के बिना गृहस्थ का काम नहीं चल सकता। इसलिए. उस . के लिए यह आदेश दिया गया कि वह इसके लिए.मर्यादा कर ले. कि मैं आज इतने पानी से अधिक काम. में नहीं लाऊंगा... और जितना , भी पानी वह अपने पीने-धोने आदि के काम. ले, उसे. वस्त्र से छाने विना काम में नहीं लेवें। क्योंकि पानी में अनेक त्रस जीव रहते हैं। अतः बिना छाने पानी पीने से. या वस्त्र-पात्र आदि धोने से उसमें.. स्थित स जीवों के प्राणों का नाश हो जाता है। ज़रा-से अविवेक, अयतना एवं प्रमाद-पालस्य के कारण: अनेक प्राणियों को अपनी . जिन्दगी से हाथ धोना पड़ता है और इससे व्यक्ति को कोई लाभ नहीं होता। इस अविवेक के कारण -मनुष्य को कई बार, भयानक कष्ट उठाने पड़ते हैं। कभी-कभी पानी के साथ, विषले एवं रोग के. कीड़े उसके पेट में पहुंच जाते हैं, जिस से उसे भयंकर- व्याधि एवं वेदना को भोगना पड़ता है। कुछ वर्ष पहले एक समाचार: पत्र में : . मुरादाबाद की एक घटना प्रकाशित हुई थी- एक लड़के ने रात को ... अपनी चारपाई के नीचे पानी का लोटा भर कर रखा था। अचानक . एक बिच्छू उस में घुस गया। लड़का: रात को उठा, और बिना देखे.. बिना छाने: पानो पो गया । और पानी के साथ वह बिच्छू उस के मुंह
में चला गया और उसके.. कण्ठ, में रुक गया तथा डंक मारने लगा.। ..... . .लड़का तिलमिला उठा, उसके कण्ठ से विच्छू को निकालने के बहुत .
प्रयत्न-किये परन्तु सब बेकार गए । अन्त में वह लड़का तड़प-तड़प कर