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प्रश्नों के उत्तर
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Ananananananananaanin वध किया जाता है। इसी तरह फाईन क्वालिटी (Fine Quality,... के वस्त्रों पर चमक लाने के लिए जीवित पशुओं की चर्वी का उपयोग .. किया जाता है। रेशम का निर्माण तो कीड़े ही करते हैं। जब वे रेशम बना चुकते हैं तो गर्म-गर्म वाष्प के द्वारा उन्हें मार देते हैं और बाद में उबलते हुए पानी में डाल कर रेशम के तार निकालते हैं । इस तरह ज़रा-सी मौज-शौक के लिये बेचारे हजारों-लाखों ही नहीं, अनगिणत : जीवों को अपनी अमूल्य जिन्दगी से हाथ धोना पड़ता है । अतः इतनी घोर हिंसा से बने पदार्थों का उपयोग करना श्रावक के लिए... किसी भी स्थिति में उचित नहीं है । श्रावक का जीवन दिखावे, नखरे .. एवं ऐशोराम का नहीं, बल्कि सादा होना चाहिए। वह किसी भी वस्तु का उपयोग फैशन के लिए नहीं, प्रत्युत जीवन-निर्वाह के लिए ... करता है। अतः उसके जीवन में महाहिंसा एवं महारम्भः जन्य कार्य... को ज़रा भी स्थान नहीं मिलता। . . : ..: . अहिंसा की साधना स्व-पर के हित के लिए जितनी महत्त्वपूर्ण . है उतनी कठिन भी है। महात्मा गांधी के शब्दों में कहें तो "अहिंसा का मार्ग जितना सीधा है, उतना ही वह संकड़ा भी है।" यह मार्ग तलवार की धार पर गति करने जैसा है। या यों कहिए कि रस्सो पर ।। कदम रख कर चलने जैसा है। अहिंसा की रस्सी नट के खेल दिखाने ... की रस्सी से बहुत बारीक़ है । यह सूत के धागे की नहीं, विचारों की, .. भावना की, परिणामों को डोर है । जरा-सी असावधानो एवं गफलत . से मनुष्य एक दम नीचे जा गिरता है । अहिंसा का मार्ग फिसलन भरा. ..
है, अतः सदा जागरूक एवं सावधान बन कर चलने की आवश्यकता .. है। विवेक एवं यवना के साथ सदा जागरूक हो कर साधना करने वाला व्यक्ति ही अहिंसा देवो के दर्शन पा सकता है।