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"दशम अध्याय mnanninin हो। इस तरह नरक में वे महान वेदना की अनुभूति करते हैं।
इस तरह आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक दोनों दृष्टियों से शराब बुरी चीज़ है । वह मनुष्य के ऐहिक एवं पारलौकिक दोनों जीवनों को विगाड़ती है। परलोक में नरकादि दुर्गतियों में सड़ना पड़ता है और इस लोक में कोई भी भला आदमी उसकी इज्जत नहीं करता। शराब भंग, गांजा, सुल्फा आदि का नशा करने वाले व्यक्तियों की आदतें विगडं जाने एवं व्यभिचार, चोरी आदि को बुरी आदत पड़ जाने के ... कारण लोगों में उनका विश्वास नहीं रहता। कोई भी व्यक्ति उनकी वातः का विश्वास नहीं करता.और न कोई व्यक्ति उन्हें कर्ज देने को ही तैयार होता है। पुलिस भी उन पर कड़ी निगाह रखती है.... चोरी आदि को घटना घटतो है तो शराब के अड्डे पर भी छान-बीन की जाती है । कचहरी में भी शराबी की बात का विश्वास नहीं किया जाता। सरकार के प्रत्येक अधिकारी एवं कर्मचारी के लिए यह नियम है कि वह अपनी ड्यूटी के समय पर शराब का सेवन न करे। क्योंकि उससे उसकी बौद्धिक शक्ति कुण्ठित हो जाती है। वह अपने कर्तव्य का अच्छी तरह पालन नहीं कर सकता। . . . . ____ इस तरह हर दृष्टि से शराब बुरी चीज़ है। इससे राष्ट्रीय कोष में भले ही आमदनी होती है, परन्तु राष्ट्रीय उत्पादन में कमी ही होती है । क्योंकि इसके नशे में वेभान हुआ मानवः कोई भी काम नहीं कर सकता। इससे देश का उत्पादन कम होता है. और. इसके पीछे खर्च अधिक बढ़ जाने के कारण गरीबी अधिक बढ़ जाती है। .
इसलिए आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो शराबा निर्धनता-ग़रोबी को . बढ़ावा देने वाली है। देश में बढ़ती हुई ग़रीबी के और कारणों में,
एक कारण यह (शराब) भी है।