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प्रश्नों के उत्तर
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महापुरुषों ने शराब से होने वाले कुछ दुर्गुणों का बड़े सुन्दर एवं मार्मिक शब्दों में उल्लेख किया है । आचार्य श्री हरिभद्रसूरि लिखते हैं -
"वैरूप्यं व्याधिपिण्डः, स्वजन - परिभवः कार्यकालातिपातो, विद्वेपो ज्ञाननाशः स्मृतिमति - हरणं विप्रयोगश्च सद्भिः । पारुष्यं नीचसेवा कुलचलबिलयो धर्मकामार्थहानिः, कष्ट वै पोडशैते निरुपचयकरा मद्यपानस्य दोषाः ॥ "
अर्थात् - मदिरा के सेवन से १६ दोषों की उत्पत्ति होती है । जैसेकि -
१- शरीर कुरूप और वेडौल हो जाता है । २-शरीर में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं ।
३ परिवार के लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं । ४-काम करने का सुन्दर समय यों ही बीत जाता है ।
५-द्वेष उत्पन्न हो जाता है । ६- ज्ञान का नाश हो जाता है ।
७-स्मृति का नाश होता है । ८- बुद्धि को ताले लग जाते हैं । ९- सज्जनों से पृथक हो जाता है।
१० - वाणी में कठोरता श्रा जाती है ।
११- नीच व्यक्तियों की सेवा करनी होती है।
१२- कुल की निन्दा होती है ।
* हरिभद्रीयाष्टक श्लोक १९.