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दशम अध्याय
मुच दुःख होता है। जिस महात्मा गांधी ने आजादो के लिए जीवन कुर्बानी को, अहिंसा, दया, करुणा और प्रेम-स्नेह के हथियार से जो. निरन्तर लड़ता रहा। उसी के अनुयायो आज मांसाहार को प्रोत्साहन... दे रहे हैं। भारत-सरकार एक ओर अहिंसा और शान्ति का राग अलाप रही है और दूसरी ओर आधुनिक ढंग के नए नए कत्लखाने खोलने तथा मुर्गी, अण्डों एवं मत्स्य के उत्पादन को बढ़ाने के लिए मुक्त हस्त से सहयोग दे रही है । यही कारण है कि सरकार की. शांति-योजनाएं सफल नहीं हो पातीं। गला. फाड़-फाड़ कर शान्तिशान्ति चिल्लाते रहने पर भी आज राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज में अशान्ति के बादल मंडरा रहे हैं । अशान्ति की प्राग प्रतिक्षण,बढ़ती ही जा रही है। इसका मूल कारण यह है कि हमारा खान-पान और रहन-सहन सात्त्विक एवं शान्तिदायक नहीं है। याद रखिए कि जिस . रसोई-घर में कत्लखाना चल रहा है खून के फवारे उछल रहे हैं, उस.
घर में, उस परिवार में शान्ति कैसे बनी रह सकती है? जीवन को. - शान्त-प्रशान्त बनाए रखने के लिए घर का वातावरण शान्त एवं सा- .
त्त्विक होना चाहिए। भोजनशाला में ऐसे कोई वस्तु नहीं आनी चा
हिए जिसके लिए हमारे जैसे प्राणधारी पशु-पक्षियों को अपने मूल्य - जीवन से हाथ धोना पड़े। याद रखिए कि. भोजनशाला को कत्लखाना . एवं अपने पेट को मृत पशु-पक्षियों को कब्र बना कर मनुष्य कभी भी
शान्ति नहीं पा सकता । अस्तु, इन्सान को चाहिए कि वह छोटे-बड़े सभी प्राणियों की रक्षा एवं दया करे । स्वयं सुखपूर्वक जीए और साथ में संसार के अन्य प्राणियों को भी जीने दे, शांति एवं स्वतन्त्रता
से विचरने दे। इसी में मनुष्य की महानता है, विशेषता है। .. मनुष्य को सृष्टि का बादशाह या सिरताज कहा गया है । इसका