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प्रश्नव्याकरणसूत्र ____टीका-'पाणवहो' प्राणधो नाम 'एसो' एषः वक्ष्यमाणः 'जिणेहिं' जिनैः ‘भणिओ' भणितः कथितः। स चायम्-'पावो' पापः-पापप्रकृतीनां बन्धकारणत्वात् । 'चंडो' चण्ड:-क्रोधजनकत्वात् 'रुद्दो' रौद्रः-रौद्ररसप्रवर्तितस्वात् , 'खुद्दो' क्षुद्रः-क्षुद्रजनाचरितत्वात् , 'साहसिओ' साहसिकः-असमीक्ष्यकारि जनप्रवर्तितत्वात् । 'अणारिओ' अनार्यः-अनार्यपुरुषैराचस्तित्वात् । 'णिग्धिणो' निणः-न विद्यते घृणा-पापजुगुप्सा येषां ते निघृणाः-निर्दयाः, तैरावरितत्वात् । णिस्संसो' नृशंसः-क्रूरकर्माचरितत्वात् , 'महन्भओ' महाभयः-महाभयजनकत्वात् , 'पइभओ प्रतिभयः सकलप्राणिनां भवहेतुत्वात् , ____ अब सूत्रकार ' जारिसओ' इस द्वार का विवरण करते हुए प्राणवध के स्वरूप को कहते हैं-' पाणवहो नाम एसो ' इत्यादि । टीकार्थ-(एसो पाणवहो नाम) यह प्रागवध (जिणेहि) जिनेन्द्र देवने (पावो) पाप प्रकृतियों के बंध का कारण होने से पापरूप १, ( चंडो) क्रोध का जनक होने से, चंडस्प २, (रुद्दो ) रौद्र रस से प्रवर्तित होने के कारण रौद्ररूप ६, (खुद्दो) क्षुद्र जनों द्वारा आचरित होने के कारण क्षुद्ररूप ४, ( साहसिओ) अविचार शील मनुष्यों द्वारा किया हुआ होने के कारण साहसिक रूप ५, ( अगारिओ) अनायें जनों द्वारा विहित होने के कारण अनायरूप ५, (गिन्धिणो ) दया विहीन हृदयवाले मनुष्यों द्वारा सेवित होने के कारण निघृणरूप ७, (णिस्संसो) कर कर्मवाले जनों द्वारा किया हुआ होने के कारण नृशंसरूप८, (महमओ) नहान् भयका जनक होने के कारण महा भय रूप९, (पहभओ) समस्त प्रागियोंको भयका हेतु
वे सूत्रा: “ जारिसओ' AN AIRनु १ - ४२di प्रावधनु २१३५ छ-" पाणवहो नाम एसो" त्यादि. टार्थ-"एसो पाणवहो नाम" २॥ प्रावध “जिणेहि" जिनेन्द्र श्वे (१) "पावो" पा५ प्रतियाना धन ४२११ डापायी ॥५३५, (२) "चंडो" धने पहा ४२॥२ डापाथी २४३५, (3) “ रहो" शैद्र २सथी प्रवर्तित होपाने रहो रौद्र३५, (४) "खुद्दो" क्षुद्रमना २आयरित वायी क्षुद्र३५, (५) 'साहसिओ" अवियारी भनुष्यो २॥ ४रातो पाने ॥२) साउसि४३५, (6) "अणारिओ" અનાર્ય કે દ્વારા કરાતું હોવાને કારણે અનાર્યરૂપ, (૭) "णिग्षिणो" या२डित या७॥ २॥ ४२रातो पाथी नि ४३५, (८) "णिसंसो" २ मा द्वा२। रातो डावाने पर नृश स३५, (6) "महन्भओ" भडान लय न वाथी मामय३५, (१०) “पइमओ" समस्त प्राणीमान भयनी तुभूत पाने ४॥२२ प्रतिमय३५, (११) 'अइभओ"
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