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आदर्श जीवन।
मसौदे बनाकर पाली हमारे चरित्र नायकके पास भेज दिया करते थे। उनकी आप नकल कर आचार्यश्रीके पास लौटा देते थे । इसी वर्ष आचार्यश्रीको, डॉक्टर ए. एफ. रुडाल्फ हॉर्नलके कहनेसे, गवर्नमेंटकी तरफसे ऋग्वेद भेटमें मिला था। __ इस चौमासेमें आपने चंद्रिका समाप्त कर ली। थोड़ा अमरकोश भी कंठ कर लिया । पालीके उपाश्रयमें एक ज्योतिर्विद रहते थे। उनका नाम था अमरदत्त । जातिके पुष्करणा ब्राह्मण थे । हमारे चरित्रनायकने उनसे थोड़ा ज्योतिषका अभ्यास भी किया था ।
चौमासा बीतनेपर आप अपने गुरुमहाराजके साथ पालीसे विहार करके ब्यावर होते हुए अजमेर पहुचे । आचार्यश्री भी जोधपुरसे विहारकर कापरड़ा तीर्थकी यात्रा करते हुए अजमेर पधारे । कापरड़ा तीर्थकी उस समयकी हालतमें और इस समयकी दशामें जमीन आसमानका अंतर है । उस समय इस तीर्थ स्थानकी दशा खराब हो रही थी, मगर आज वह वर्तमान आचार्य श्री १००८ विजयनेमि मूरिजी महाराजकी कृपासे चमन हो रहा है।
अजमेरमें उस समय आचार्यश्रीके साथ (१) मुनिमहाराज श्रीकुमुदविजयजी उर्फ छोटेमहाराज (२) मुनि महाराज श्रीकुशलविजयजी उर्फ बाबाजी महाराज (३) मुनि महाराज श्रीहर्षविजयी प्रसिद्ध नाम भाईजी महाराज (४) मुनि
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