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आदर्श जीवन।
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कर आश्चर्य हुआ कि, किसी श्रावकके न होते हुए भी आप इतने दिनसे वहाँ हैं और जैनेतर लोग आपकी इतनी सेवाभक्ति करते हैं। ___ आपकी प्रेरणासे दोनों सज्जन रामनगर यात्रा करनेके लिए गये थे । वहाँ पन्नेकी श्रीस्तंभन पार्श्वनाथकी मूर्तिके दर्शन करके वे मुग्ध होगये । सचमुच ही वह मूर्ति ही ऐसी है । उन्होंने, आपको पूछने पर, कहा था, कि हमने अपनी आयुमें इतना बड़ा बेदाग पन्ना कहीं भी नहीं देखा।
उस समय नगीनभाईने एक ऐसी बात कही थी जिसे हरेक नवयुवकको, चाहे वह गृहस्थी हो या साधु, हर वक्त अपने सामने रखनी चाहिए। उन्होंने कहा था,---" आप वृद्ध महात्माओंके साथमें रहते हैं यह बात बहुत ही श्रेष्ठ है । वृद्ध साधुओंके सहवाससे युवक साधु अनेक तरहकी बुराइयोंसे बच जाते हैं।"
उस समय श्रीकुशलविजयजी (बाबाजी) महाराज, श्रीहीरविजयजी महाराज और श्रीसुमतिविजयजी महाराज ये तीनोंवृद्ध मुनिराज थे। __ अकालगढ़से विहार कर आप गुजराँवाला पधारे । एक महीनेतक वहाँ निवास किया और श्रद्धालु भक्तोंको जिनवचनसुधा पिलाई।
गुजराँवालासे विहार करके आप जम्मू पधारे। कई बरसोंसे वहाँ मुनिराजका पधारना नहीं हुआ था । लोग बड़ी
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