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आदर्श जीवन । ....
..विनती करनेके लिए एन्द्राका गुड़ा आये थे । उनमेंसे एक श्रावकने आपके पास आकर उपवास पचख लिया और फिर कहा:--" आप जबतक हमारे गाँवमें पधारनेकी विनतीको स्वीकार न करेंगे तबतक पारणा नहीं करूँगा।" इस लिए आपको गाँव रस्तेमें न होने पर भी कुल्ला पधारनेकी स्वीकारता देनी पड़ी । वहाँ एक साधर्मीवत्सल भी हुआ था। __कुल्लासे डेंडो पधारे। वहाँ पालीके लोग विनती करने आये। बाजारमें आपका व्याख्यान हुआ था । वहाँ मंदिरजीमें पूजा नहीं की जाती थी। कई श्रावकोंको पूजाका नियम लिवाया।
डेंडोसे आगे तीन कोस पर एक गाँव है। वहाँ आपके पधारने पर पूजा पढाई गई और साधर्मीवत्सल हुआ। - वहाँसे सं १९७७ के मिगसर सुदी १० को आप पाली पधारे । समारोहके साथ नगर प्रवेश हुआ। कई दिनतक पूजा प्रभावना और नोकारसी होती रही। वहाँ सोजत, नयाशहर (व्यावर) के लोग आपके पास अपने अपने गाँवोंमें पधारनेकी विनती करने आये थे । पालीमें एक पाठशाला भी स्थापित हुई थी।
पालीमें पचीस दिन रहकर आपने पोस सुदी ५ को वहाँसे विहार किया और जाडण पधारे। मंदिरजीमें आशातना होती है यह बात चतुमासे पहले आप जाडण पधारे थे उस वक्तकी आपके ध्यानमें थी इस लिए पालीसे विहार करते हुए आपने पालीके श्रीसंघसे कुछ सूचना की। ५०-६० आदमी पालीसे आपके
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