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( २२२) आदिको और अहमदाबादसे पं० उमंगविजयजी आदिको हमारे उपकारार्थ भेजा । इन्होंने भी परिश्रम करके गुरुवचनको पाला । आजके समयमें भी ऐसे उपकारी गुरु महाराज विद्यमान हैं जो अपने शिष्योंको इतनी इतनी दूरसे भेज कर समाजपर उपकार करते हैं । धन्य है उन उपकारी गुरु महाराजको जो पंजाबमें बैठे हुए भी हमारे उद्धारका प्रयत्न कर रहे हैं। मेरा मन आज बड़ा प्रसन्न हुआ है। मैंने जौ साढ़े बारह हजार रुपये विद्यालयको ब्याजू दे रक्खे हैं उन्हें आजके शुभ प्रसंगपर मैं विद्यालयके भेट करता हूँ और उसका ब्याज भी माफ करता हूँ।"
इस तरह धर्म और जातिके उपकारार्थ लगभग पाँच लाख रुपयेका दान दे उनकी भलाईके लिए अनेक प्रकारका परिश्रम कर सं० १९८१ के पोस वदी ४ के दिन । अपनी करीब ६५ वर्ष की आयुमें इन्होंने स्वर्गारोहण किया और अपने पीछे समाजकी सेवाके लिए दो पुत्र श्रीयुत मणिलालजी और श्रीयुत सकरचंदनीको छोड़ गये और छोड़ गये वे अपना अनुकरणीय परोपकारमय जीवन ।।
. श्रीयुत लाला गंगारामजी।
लाला गंगारामजी शहर अंबालेके रहनेवाले थे । वे पहले स्थानक वासी थे। स्वर्गवासी १००८ श्री मद्विजयानंद सूरिजी ( आत्मारामजी )
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