Book Title: Adarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granthbhandar Mumbai

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Page 812
________________ (२२७) इन्कार किया और कहाः-" वे जैसे तुम्हारे पिता एवं मुरब्बी थे वैसे ही हमारे भी थे । हम भी उनके पुत्र समान हैं । हम उन्हें यहाँसे नहीं लेजाने देंगे।" देहान्त होजानेके बाद तार मिलनेपर होशियार पुर, रोपड, सामाना, अमृतसर, अंबाला और लाहौरके प्रतिष्ठित सज्जन एवं संघके मुखिया भी स्मशानयात्राके पहले लुधियाने, उनका सत्कार करने पहुँच गये थे। सभीने अपने अपने शहरके संघकी तरफसे मृत देह पर दुशाले ओढाये थे । करीब ७० बरसतक चोलेमें रहकर उनका जीवनहंस सदाके लिए उड़ गया । पंजाबके श्रीसंघने गत आत्माके वियोगमें आँसू बहाते हुए चोलेकी दाह क्रिया की । संसारमें उसीका जीवन सफल है जिसके आने और जिसकी हस्तीसे दुनियाको फैज पहुँचे और जिसके चले जानेसे दुनिया आँसू बहावे । ___ लालाजी अपने अंत समयमें अपने पुत्रको आज्ञा दे गये कि वे २५ बरसतक ४००) चार सौ रुपये सालाना हस्तिनापुर मंदिर और अंबालेके मंदिर व स्कूलमें देते रहें। _उनके कुटुंबमें इस समय एक पुत्र लाला बनारसीदासजी उनकी पुत्र वधू और पौत्र विजयकुमार हैं। पौत्र गोद रक्खा हुआ है। • स्वर्गीय सेठ हेमचंद अमरचंद । - सज्जन पुरुष वे कहलाते हैं जो संसारमें आकर धर्महित, जातिहित या देशहित कुछ न कुछ कर जाते हैं, जिनका जीवन. अपने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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