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राज १००८ श्री विजयवल्लभसूरिजी के पास एक पत्र भेजा था, वह पूर्वार्द्धमें दिया गया है। उससे मालूम होता है कि, इन्होंने मुनि श्री हर्षविजयजी महाराजके बाद हमारे चरित्रनायक पर पूर्ण श्रद्धा की है और इन्होंने जितना दान दिया है. अथवा इनमें जितनी दानशीलता है वह सब हमारे चरित्रनायकके सदुपदेशका ही प्रभाव है।
ये जैसे धर्म प्रेमी हैं वैसे ही विद्या प्रेमी भी हैं। इनके दानकी सूची बताती है कि, विद्याके प्रचार में भी इन्होंने लाखों खर्चे हैं।
ये जातीय कार्योंमें अच्छा भाग लेते हैं। श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फ रेंसके कार्यवाहक हैं, स्टेंडिंग कमेटीके सभासद हैं, कन्वेन्शन रिसेप्शन कमेटी के सभापति थे, श्री महावीर जैन विद्यालयकी कमेटीके प्रारंभ से ही सभासद और खजानची हैं, माँगरोल जैन सभाके प्रमुख हैं, लालबाग जैन उपाश्रय और मंदिरके बहुत बरसोंसे ट्रस्टी हैं, श्री भायखाला मंदिरके रिसीवर हैं, श्री मोहनलालजी जैन सेण्ट्रल लायब्रेरीके ट्रस्टी और सेक्रेटरी हैं, जामनगरके विश्राम मंदिरकी व्यवस्थापक कमेटीके मेम्बर और खजानची हैं, श्री सिद्ध क्षेत्र जैनबालाश्रमके सेक्रेटरी. हैं, श्री जैन एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के उपसभापति हैं, बंबईकी जीवदयामंडलीके मेम्बर हैं श्री वीरतत्त्व प्रकाशक मंडल के खजानची हैं और बंबई में जब दुष्काल मंडल तथा इन्फ्लुएंजा कमेटी हुई तब ये उनके मेम्बर बने और बड़े उत्साहसे उनमें काम किया । रोजगार भी इनका अच्छा है। ये माधवजी मिलके सेलिंग एजंट और कपड़ेके बहुत बड़े व्यापारी हैं।
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