Book Title: Adarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granthbhandar Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 816
________________ (२३१) कुछ कमजोर दिलके हितु इनके पास आये और कहने लगे,"कुछ दंड देकर जातिको खुश कर लो।" ये हँसे और बोले:-" धर्म पालनेमें वाधा डालनेवाली जाति या संघके आगे सिर झुकाना मैं धर्मच्युति और अपमान समझता हूँ। मुझे देखना है कि तुम लोगोंमें सच्चे धर्मात्मा कितने हैं और दौंगी कितने हैं ? " मांगरोलके पंचोंने और संघने बंबईके दसा श्रीमाली पंचों और श्वेतांबर संघको लिखा कि हमने श्रीयुत हेमचंद अमरचंदको जाति और संघसे बाहिर कर दिया है तुम भी कर देना । बंबईमें जातिवालोंने भी मांगरोल जातिवालोंका अनुकरण किया; परन्तु संघने इन्कार कर दिया । इतना ही नही बंबईके श्वेतांबर संघने इस धर्मवीरका सत्कार किया। ___ कलकत्तावाले सेठ जेठाभाई जयचंद और बंबईवाले सेठ मोतीचंद देवचंद भी कुछ महीनोंके बाद आसोजमें मांगरोल खास इसी झगड़ेको मिटाने के हेतु आये हुए थे । उन्होंने संघके मुखियों एवं पंचोंको कहा कि," आप लोगोंने हेमचंद भाईको अपनेसे अलग करनेका कार्य बिलकुल ही अनुचित किया है।" मगर इन लोगोंकी बातोंपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। ___ आसोजमें आंबिलकी ओलियाँ आता हैं । सेठ हेमचंदजीके घरसे आंबिल करनेवालोंके लिए आठ दिन तक खानपानकी सुविधा कर दी जाती है। उपरोक्त दोनों सेठोंने संघनेताओंसे कहा कि-" आंबिल करनेवाले लोगोंके धर्म पालनेमें बाधा डालना अनुचित है। आपको बाधा हटाकर लोगोंको सरलतासे धर्म पालने देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होगा तो हम हेमचंद भाईके साथ रहेंगे।" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828