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आदर्श जीवन।
कई बड़े बैठे हैं, जो कि मेरे से कई गुणा अधिक इस पदवी के लिये योग्य हैं। अतः श्रीसंघ को उन्हीं महात्माओं में से किसी एक को इस पद पर प्रतिष्ठित करना चाहिये । __ इस विचार विमर्श में महाराज श्रीकमलविजयजी आचार्य बनाये गये जो कि अभी विद्यमान हैं । परन्तु बहुत से वर्षों के बाद पंजाब श्रीसंघ अपने दीघ अनुभव द्वारा किसी और ही नतीजे पर पहुँचा । उस को अपनी आशालता सर्वथा मुझाई हुई प्रतीत होने लगी। वह समझने लगा कि अब पंजाब की डगमगाती हुई नौका का कर्णधार सिवाय महाराज श्रीवल्लभविजयजी के दूसरा नहीं हो सकता । इस विशाल क्षेत्र की अवनति को देखकर, सिवाय इनके और किसी के दिल में थोड़ा बहुत भी दर्द होता हो, ऐसा समझना भूल है। अब तो उसको यह पूर्ण विश्वास हो गया कि, जिस महापुरुष ने, पंजाब की इस वीर भूमि में, वीर निर्दिष्ट धर्म बीज को वपन करके अंकुरित और पल्लवित किया, उस महापुरुष का अंगुली निर्देश, जिस आदर्श गुरुभक्त पर था (वही वल्लभविजयजी) इस उछरते हुए धर्म पौदे के आलवाल-थाले-को जलसे परिपूर्ण करेगा और उसको, अपनी देखरेखमें रख, उसकी सेवाकर, फलायगा फुलायगा।
इसी उद्देश्य से पंजाबके श्रीसंघने अनेक बार महाराज श्रीवल्लभविजयजी महाराजकी सेवामें, पंजाब के जैनशासन की बागडोर अपने हाथ में लेने की विनीत प्रार्थनाएँ की।
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