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आदर्श जीवन।
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कृपा करें, आचार्यपद समर्पण समय में क्षुद्रात्मा को स्मरण नहीं किया इसका अत्यंत खेद है लेकिन आनंद तो इस बातका है कि पंजाब ने समग्र भारत के जैनसंघकी इच्छा 'संपूर्ण की, विशेष क्या लिखू आनंद असीम है । छोटी सादड़ी ।
चंदनमल नागोरी । ता. ११-१२- ९२४
(८) श्रीभद् वीराय नमः। स्वस्ती श्री लाहोर नगरे महाशुभस्थाने शांत दांत सूर्यसमान तेजस्वी चंद्रसमान शीतल स्वभावी कल्पवृक्षसमान परोपकारी भारंडपक्षीसमान अप्रपत्त संसारी जीवोंको दुःखरूपी समुद्र से पार करने के लिये नौका समान इत्यादि अनेक शुभ गुणगुणालंकृत शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्री विजयवल्लभ सूरीश्वरजी महाराज उपाध्याय श्री सोहनविजयजी मुनि श्री सुमति विजयजी पं. विद्याविजयजी, तपस्वी गुणविजयजी,विचारविजयजी,समुद्रविजयजी, सागरविजयजी,आदि महाराज साहेब की सेवा में मुंबई से सादड़ी श्रीसंघ की वंदना १००८ वार अभुडिओमी अभ्यंतर सहित अवधारना जी, वि० विनंती साथ लिखना है कि आप श्रीका कृपापत्र नहीं सो आप श्री अमूल्य वक्त लेके लिखने की कृपा करनाजी। वर्षा ऋतुमें कृषाण लोक मेघ की राह देखते हैं उसी तरह, हम भी आप श्रीका अमृततुल्य उपदेशक पत्र की राह देखते हैं। यहाँपर देवगुरु
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