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( १६८) उन्हें स्मरण कर अपनी कृतज्ञता प्रकाशित करते हैं और यदि पिता जीवित होते हैं तो उनकी सेवाभक्ति कर अपना कर्तव्य करते हैं वे ही पुत्र सुपूत कहलाते हैं। __ जयन्ती मनानेसे हमींको लाभ है। भगवान तो कर्मोंका नाश कर परम पदको प्राप्त कर चुके हैं । इस लिए उनकी तो सदा विजय ही है । हमें तो अब उनके गुणोंका स्मरण कर शक्तिके अनुसार उन गुणोंको सम्मान दे हमें अपना ही जय करना है। जो भगवान महावीरको माननेवाले हैं, उनके लिए यह जयन्तीका दिन तन, मन और धनसे उत्सव करने योग्य है, जो उन्हें मानते नहीं हैं वे जयन्ती मनावें या न मनावें उनसे हमें कोई मतलब नहीं है। - ये वीर कैसे हो गये हैं उनका यथार्थ चरित्र कहनेकी मेरी
शक्ति नहीं है। उनके सम्पूर्ण गुण तो जो उनके जैसा होता है वही जान सकता है। तो भी पूर्ण पुरुषोंने उनके गुणोंका वर्णन किया है उनमेंसे कुछ कहूँगा। - भगवानका 'वीर' नाम अन्वर्थ है। जो नाम गुणसे उत्पन्न होता है उसे अन्वर्थ कहते हैं। 'वीर' नाम गुणसे हुआ है। उन्होंने वीरताके जो काम किये हैं और अपनी जो वीरता प्रकट की है उनके कारण · वीर' कहलाते हैं। वास्तवमें तो, इनका, मातापिताका दिया हुआ, नाम वर्द्धमान था । वीरका प्रभाव अपने हृदयमें स्थापित करनेके लिए वीर जयन्ती मनाई जाती है
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