Book Title: Adarsha Jivan Vijay Vallabhsuriji
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Granthbhandar Mumbai

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Page 795
________________ ( २१६ ) ( १ ) दानवीर सेठ मोतीलाल मूलजी जे. पी. | सेठ मोतीलाल मूलजी उन पुरुषोंमेंसे एक थे जो अपने ही भुजबलसे ऊँचे उठते हैं, उन्नत होते हैं, धनकमाते हैं सत्कार्योंमें उसे लगाते हैं और अपनी कीर्ति फैला लोगोंको अपने उपकारोंके तले दबा चले जाते हैं । इनका जन्म राधनपुर (गुजरात ) में हुआ था । घरकी स्थिति साधारण थी, इसलिए कमाई करनेके इरादेसे बंबई में चले आये और एक पेढ़ी पर पचास रुपये महीने पर नौकर हो गये । उस समय इनकी उम्र तीस बरसकी थी। धीरेधीरे वेतन बढ़ता गया और अपनी कार्यदक्षता, धर्म प्रेम परोपकार वृत्ति एवं सत्साहसके कारण ये सर्वजनप्रिय होते गये । कई बरसोंके बाद इन्होंने नौकरी छोड़ दी और दलाली करना शुरू किया। स्वतंत्र रोजगार भी करने लगे । तेतीस बरसकी आयु में इनकी धर्मपत्नीका देहावसान हो गया । वे अपने पीछे दो पुत्र रत्न छोड़ गई । सेठजीसे दूसरा ब्याह करनेका, लोगोंने आग्रह किया; मगर उन्होंने इन्कार किया और जीवन भरके लिए ब्रम्हचर्य व्रत धारण कर लिया और उसका निर्वाह किया । ऐसे पुरुष रत्न धन्य हैं ! इनके संयमके प्रभावसे लक्ष्मी इन पर प्रसन्न हुई और इनका व्यापार चमक उठा। देखते देखते ये लखपति हो गये । जब इनका धन कमानेका मार्ग प्रशस्त हो गया तब इन्होंने उस धनको सन्मार्गमें लगाना प्रारंभ किया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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