________________
( १७२) कल्याणकका आराधक सुखका बुलानेवाला होता है। यानी आराधन करनेवाला सुखी होता है। उनके चरित्रका ध्यान करनेसे उनके गुणोंकी छाप हृदयमें डालनेसे हम बुरे कामसे बच सकते हैं और सुखकी प्राप्तिके साधन जुटा सकते हैं। __ भगवानके चरित्रमेंसे एक बात खास हमारे ध्यानमें लेने योग्य है । भगवानके जीवने एक बार कुलका मद किया था; अहंकार किया था, वह कर्म उनको भोगना पड़ा था। भगवान महावीरके समान उच्च कोटिके जीवको भी जब उस कर्मके प्रतापसे भिक्षुक कुलमें उत्पन्न होनेका प्रसंग आया था । तब आजकलके लोग जो कुलका मद, जातिका मद, धनका मद, बलका मद, आदि अनेक प्रकारके मद कर अनर्थ करते हैं; सत्कार्यमें योग नहीं देते, कई बार तो वे अच्छे कर्मों के भी बीचमें आते हैं-कैसे ऐसे कोका फल भोगनेसे बच सकेंगे? इससे उन्हें यह उपदेश ग्रहण करना चाहिए कि, इन मदोंके कारण जो कर्म बँधते हैं उनसे अनेक भव भ्रमण करने पड़ते हैं, इस लिए भगवानकी जयन्ती मना, किसी प्रकारका मद नहीं करनेका गुण हमें ग्रहण करना चाहिए।
भगवानने उपर्युक्त गुण प्रकट करनेके लिए महान् प्रयत्न किया था। उसमें उन्हें अनेक कष्ट सहन करने पड़े थे तो भी वे निस्पृह वृत्तिसे दृढ रह कर चलायमान नहीं हुए थे। संसारको छोड़नेवाले साधुओंको चाहिए कि, वे भगवानके गुणोंका अनुकरण करें और
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org