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ठीक ही है । " मतलब यह है कि बड़ा आदमी खड़ा होकर और इतर लोग बैठकर सुनें यह रिवाज इस जमाने में अनुचित नहीं समझा. जा सकता । सभाओं में राजा महाराजाओं का खड़े होकर बोलना क्या अनुचित समझा जाता है ? रुचि पैदा करने के लिये जमाने के अनुसार काम करने में कोई हर्ज नहीं, जीव बचाना हमारा उद्देश्य है । प्रतिदिन दश हजारमेंसे एक भी जीव बचा सकें, तो वर्ष में तीनसौ साठ बचाये जा सकते हैं, यह कम लाभ नहीं है ।
केवल उपदेशादि कामोंसे भी उतना लाभ नहीं हो सकता जितना कि बाल्यावस्था में ही सांसारिक शिक्षा के साथ बालकोंको धार्मिक शिक्षा देने से हो सकता है । इस विषय में एक दृष्टान्त मेरे बाचने में आया है; -मदिरासे बचनेका उपदेश करनेवाला कोई उपदेशक एक स्कूल में आया, स्कूल मास्टरने उससे पूछा, " आप कब से उपदेशका काम करते हैं और कितने मनुष्योंने मदिरा पीनेका व्यसन छोड़ा ? " उत्तर में उपदेशकने कहा, "दश वर्षसे उपदेश देता हूँ, " और जितने लोगों को उसने व्यसन से छुडाया था, गिना दिया । स्कूल मास्टरने कहा, विद्यार्थियोंसे मदिरा के विषय में उनकी क्या राय है पूछ लीजिये । " उपदेशकके पूछने पर सत्र विद्यार्थियोंने एक स्वर से मादरापानकी बुराइयाँ कह सुनाई ।
" आप हमारे
सद्गृहस्थो ! शास्त्रकारोंने पोषक क्षेत्र कौन है, सो कह दिया है; परन्तु वह अपनी समझमें नहीं आया अथवा समझकर उपेक्षा
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