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(१२७) लिया नहीं । पत्रका आशय यह था कि, आप ब्राह्मण स्मृति आदि ग्रन्थोंमें किन २ ग्रन्थोंको प्रमाण मानते हैं ? " खैर !
पुलिस सुपरिन्टेन्डेन्ट साहबसे सनातन धर्मसभाके सेक्रेटरी पं० केदारनाथने कहा कि, हम पाँच प्रश्न जैनियोंको देते हैं, वे कल सवेरे इन प्रश्नोंका जवाब लिखकर लावें । उसी समय जैन भाइयोंकी ओरसे भी रजिस्टरपत्र दिखलाया गया, और कहा गया कि, इस प्रश्नका उत्तर, सनातनी पण्डित भी लिखकर लावें । दूसरे दिन सवेरे सात बजे दोनों पक्ष कोतवालीमें उपस्थित हुए। उसी समय साहब आ गये । पुलिस इन्स्पेक्टर द्वारा भीड हटवाई गई । चुनेहुए शिक्षित लोगोंको छोड़कर, अन्य लोग बाहर कर दिये गये तथा फाटक बन्द कर दिया गया। - श्रीमान् पं० ज्वालासाहब डिस्ट्रिक्ट जज तथा हेडमास्टर चटर्जी साहब मध्यस्थ किये गये थे। पाठकगण, यहाँ मध्यस्थके विषयों कुछ लिखना अप्रासंगिक नहीं समझा जायगा । मध्यस्थ जज साहब ब्राह्मण कुल तिलक, निष्पक्षपाती अमृतसर निवासी थे। आपके पूर्वज भी बड़े बड़े अधिकारी थे । धान्दोलनके कारण परस्पर बढ़ी हुई अशान्तिको पक्षपातरहित होकर दूर करनेके कारण, आप जैनीमात्रके धन्यवादके पात्र हैं। और ऐसे ही संस्कृतज्ञ मि. बी. सी. चटर्जी बी. ए. हेडमास्टर भी उपस्थित थे। मौलवी नजीरहुसेन, मौलवी सय्यद कलन्दरहुसेन, डिस्ट्रिक्ट सुपरवाइझर,आर्यसमाजके नेता मि० आत्माराम अमृतसरी आदि प्रतिष्ठित हिन्दु, मुसल्मान तथा राजकर्मचारी भी उपस्थित थे।
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