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बेधड़क व्याख्यान ( भाषण-लैक्चर ) दे सके ! कोई कितना ही पढ़ा लिखा हो तोभी जिसे बोलनेका अभ्यास नहीं है वह हरगिज भी नहीं बोल सकेगा । जाहिर व्याख्यानोंसे क्या लाभ है ? वह थोड़े ही समयमें आपको हस्तगत होगा । बाद इस विवेचनके सर्वकी अनुमतिसे यह प्रस्ताव पास किया गया ।
प्रस्ताव चौदहवाँ। अपने साथमें चौमासा करनेवाले या विचरनेवाले साधुके नामका पत्र, आवे तो उसको खोलकर बाँचनेका अधिकार मंडलीके बड़े साधुको ही है । यदि वो योग्य जाने तो उस साधुको समाचार सुनावे, या पत्र देवे, उनका अखतियार है । इसलिये बड़ेके सिवाय दूसरेको पत्रव्यवहार नहीं करना चाहिये । यदि अपनेको कोई कहींसे जरूरी समाचार मंगवाना हो तो, जो अपने साथ बड़े हों उनके द्वारा मंगवाना उचित है।
यह प्रस्ताव मुनि श्रीललितविजयजीने पेश किया था जिसकी पुष्टि मुनि श्रीविमलविजयजी मुनि श्रीतिलकविजयनी तथा मुनि श्रीकपूरविजयजीने अच्छी तरह की थी। अंतमें सबकी राय मिलनेपर प्रस्ताव पास किया गया ।
प्रस्ताव पंद्रहवाँ। जैनेतर कोई भी अच्छा आदमी जीवदया आदि धर्मसंबंधी
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