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मान्य मुनिवरो ! संसार में संप एक ऐसा पदार्थ है कि, जिसके प्रभावसे साधारण स्थितिकी जातियँ भी आज उन्नति के उच्च आसनपर बैठी हुई संसार भरके लिये संपकी शिक्षाका उदाहरण बन रही है । संपकी योग्यताका यदि गंभीर दृष्टिसे विचार किया जाय तो यह एक ऐसा सूत्र है कि, इसके नियमको उल्लंघन करनेवाला कभी कृतकार्यता ( कामयाबी - सिद्धि ) का मुख देखताही नहीं । इसके नियमका शासन स्याद्वाद मुद्राकी. तरह संसार के प्रत्येक पदार्थ में दृष्टिगोचर हो रहा है । आप अधिक दूर मत जाइये जरा अपने हाथकी तर्फही ख्याल करें । एक एक अंगुलि भिन्न भिन्न कार्य में सर्व अंगुलियाँ एक समान होती हुई भी एक अंगुलिका काम दूसरी अंगुलि नहीं कर सकती है । जैसे कि, पाँचोही अंगुलियों में से विवाहादि प्रसंग में तिलक करनेका काम जो कि अंगुष्टका है वह काम अन्यसे नहीं किया जाता । ऐसेही यदि किसीको खिजानेके लिये जैसे अंगूठा खड़ा किया जाता है और उसको देख कर सामनेका आदमी झट खीज जाता है यह कामभी और अंगुलि नहीं कर सकती । अंगुष्टके साथ की अंगुलि जैसे बोलतेको चुप करानेके लिये, या किसीको तर्जना करनेके लिये काम आ सकती है, और अंगुलि इस संकेतका ज्ञान कदापि नहीं करा सकती। पांचोही अंगुलियोंको दो इधर और दो इधर ऐसे विभाग में बांटने का काम जैसा मध्यमा बिचली अंगुलि कर सकती है अन्य अंगुलिसे वो काम
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