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कदापि नहीं हो सकता । इष्टदेव के पूजनमें इष्टदेवको तिलक करनेका काम अनामिका चौथी अंगुलिका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं किया जाता । इसी प्रकार कनिष्टिका पंचमी अंगुलिका काम स्कूलों मास्तरसे लघुनीति- पेसाब करनेको जानेके लिये छुट्टी मांगनेका है वो काम अन्य अंगुलिसे नहीं हो सकता । या मुद्रिका पानेका ख्याल प्रायः जितना कनिष्टिकाका होता है इतना अन्य किसी अंगुलिका नहीं। जिसका कारणभी यही मालूम देता है कि, चलते हुए आदमीकी वही अंगुलि खुली रहती है । औरतो प्रायः दाण में आजाती हैं | तो दूरसे मुद्रिकाकी चमकभी मालूम नहीं हो सकती । एवं पंचोंही अंगुलिय निज निज कार्यके करनेमें समर्थ होनेसे अपने स्थान में सबही बड़ी हैं । इस मुजिब चाहे कोई छोटा हो या बड़ा हो, अमीर हो या गरीब हो, साधु हो या गृहस्थ हो अपने अपने अधिकारमें अपने अपने स्थानमें निज निज कार्यके करने में सबही बड़े हैं । कसी और सूईकी तर्फ ख्याल किया जावे । सीने के काम में सूईही बड़ी मानी जायगी और खोदनेके काम में कसीही बड़ी मानी जायगी । परंतु जो काम सबका साधारण है, वो काम तो सबके एकत्र होनेसेही हो सकता है, जैसा कि पांचोंही अंगुलियोंके मिलने से पैदा हुए 'थप्पड़' का काम, जब पांचोंका मेल होता है तबही होता नजर आता है। यदि पांचोंमेसे कभी अंगुलि जुदी रहे तो थप्पड़का काम नहीं हो सकता ।
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