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(९१) इस प्रस्तावका मुनि श्रीवल्लभविजयजी, मुनि श्रीदौलतविजयनी, मुनि श्रीकीर्तिविजयजी, मुनि श्रीलावण्यविजयजी, मुनि श्रीजिनविजयजीने अनुमोदन किया था। ___ यह प्रस्ताव सर्वकी सम्मतिसे पास किया गया । बाद इसके समय हो जानेसे दूसरे दिनके लिये सूचना देकर कार्य बंद किया गया ।
तीसरा दिन।
ता. १४ जून १९१२ शुक्रवार प्रातःकाल आठ बजे सभापतिजी व अन्य मुनिमंडलके प्रेक्षक गण सहित उपस्थित हो जानेपर सभापतिजीकी आज्ञानुसार मंगलाचरणपूर्वक तृतीय दिनका कार्य प्रारंभ हुआ ।
प्रस्ताव इक्कीसवाँ। साधुओंके या श्रावकोंके भीतरी झगड़ोंमें अपने साधुओंको शामिल न होना चाहिये । कोई धार्मिक कारणसे शामिल होनेकी आवश्यकता हो तो आचार्य महाराजकी आज्ञा मँगवाकर उसके मुताबिक वर्ताव करना।
यह प्रस्ताव प्रवर्तक श्रीकांतिविजयजी महाराजने पेश किया
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