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आदर्श जीवन ।
आनंद थयो छे ते हुं पोतेज जाणुं हुं, तेनुं वर्णन समय आव्ये
करीश |
लि० आपना बाळको शांतिलाल, मगनलाल, अमृतलाल,
( ३३ )
श्रीसद्गुरुभ्यो नमः
शान्त दान्त पंच महाव्रतादि अनेक उच्च गुणोए अलंकृत " श्री १००८ आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरिजी महाराज तथा उपाध्याय पदालंकृत मुनिराज श्रीसोहन विजयजी महाराज आदि महात्माओनी पवित्र सेवामां, शुभ स्थान लाहोर - सुरवाडा थी लि० दर्शनाभिलाषी लालचंद, मनसुख, छगनलाल, दलसुखभाई, झवेर, नेमचंद, चीमन, सोना, बे पार्वती बेन विगेरे सर्व श्रावक श्राविकानी नम्रता पूर्वक वंदना अवधारजोशी ।
अत्रे आप सद्गुरुनी पूर्ण कृपाथी सुखसाता अनुभवाय छे आप परोपकारी गुरुरायने सदा सुख सातामां चाहिये छीये. दया लावी आ पापी गरीब सेवकोने पत्रद्वारा दर्शनदेवा कृपा करशोजी.
विशेषमां योग्य समयानुसार आप श्रीने समस्त श्रीसंघे तरफ थी महान् पवित्र उत्कृष्ट आचार्य पदथी अलंकृत करेल 'जैन' पत्रथी जाणी अत्रे सर्वने अतिशय आनंद थयेल छे ते पवित्र पदयुक्त आप श्रीने शासनोन्नतिना संपूर्ण कार्योंमां शासन देवो सहायभूत थई चिरकाल आपश्रीनों उज्वल यश जगतमां अस्खलितपणे विस्तार पामो एज अंतरनी प्रबल भावना अने अभिलाषा छे ।
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