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( ७७ )
प्रस्ताव नवमाँ |
बाल, वृद्ध, ग्लान आदि किसी खास कारणके विना, अपना साधु अपनी उपधि उपकरण गृहस्थसे न उठवावे । प्रस्ताव दशवाँ ।
चतुर्दशी के दिन बाल, वृद्ध, ग्लान ( बीमार ) के सिवाय, अपने सब साधुओंको उपवास (व्रत) करना । ( विहार में यतना ।) प्रस्ताव ग्यारहवाँ ।
अपने साधुओंको कमसेकम सौ (१००) श्लोकका स्वाध्याय ध्यान दररोज अवश्य करना । अगर जिससे न हो सके तो वो एक नमस्कार मंत्रकी माला ही फेर लेवे ।
प्रस्ताव बारहवाँ |
सोने चाँदीकी या उसके जैसी चमकवाली चश्मेकी फेम ( कमानी ) नहीं रखनी ।
प्रस्ताव ७ सातवेंसे १२ वे पर्यंत छै प्रस्ताव सभापतिजीकी तर्फसे आज्ञारूप जाहिर किये गये थे; जिनको, उसीवक्त, उपस्थित हुए सर्व साधुओंने स्वीकार कर लिया था ।
इतना कार्य होने के बाद दूसरे दिनके लिये दो बजे से चार बजे तकका टाइम मुकर्रर करके प्रथम दिनका काम समाप्तकिया गया ।
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