________________
आदर्श जीवन
पदवी की चादर ओढ़ाई गई । अनन्तर समवसरण की प्रदक्षिणा करते हुए आचार्य श्री पर और उपाध्याय जी पर चारों ओर से वासक्षेप मिश्रित चावलों की खूब ही दृष्टि हुई और जयकारों तथा बैंड बाजों की तुमुल ध्वनि के साथ यह शुभ क्रिया समाप्त हुई ।
आपकी इस आचार्य पदवी के समय तकरीबन ७४, ७५ शहरों के लोग उपस्थित थे, उन सब की लिस्ट परिशिष्ट में दर्ज है । तथा पंजाब के अतिरिक्त अन्य प्रान्तों के भी बहुत से सद्गृहस्थ इस समय हाज़िर थे। उन में दानवीर सेठ मोतीलाल मूलजी जे. पी. (बम्बई - राधनपुर), सेठ गोविन्द जी खुसाल ( वेरावल - काठियावाड़), सेठ नवीनचन्द हेमचन्द (मांगरोल ), धर्म मूर्ति सेठ सुमेरमल जी सुराणा, सेठ उदयचन्द जी रामपुरिया (बीकानेर), सेठ पूंजाभाई - छगनलाल - कालीदास सात भाईया ( अहमदाबाद ), श्रीयुत मगनलाल हरजीवनदास (भावनगर), बाबू टीकमचन्द जौहरी ( देहली ) बाबू चंद्रसेन ( बिनौली ) और लाला उमरावसिंह खिवाई (मेरठ) आदि सद्गृहस्थों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं ।
तथा महाराज श्री के आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होने की खुशी में सेठ मोतीलाल मूलजी की तरफ से एक साधर्मिवात्सल्य हुआ ।
बोलियाँ — इस प्रकार उत्साह पूर्वक आचार्य पदवी का कार्य सम्पूर्ण होने के बाद भगवान् को गद्दी पर विराजमान
Jain Education International
६५३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org