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आदर्श जीवन ।
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हृदय पट पर लिख लेना चाहिये कि गुजरात देश में जन्म लेने पर भी हमारे गुरु ने स्वर्गवासी गुरुमहाराज के लगाये हुए धर्म वृक्ष को सुरक्षित रखने का बीडा उठाया है तो हमारा यह सब से प्रथम कर्तव्य होगा कि हम अपने जीवन में पंजाब को कभी न भूलेंगे। शिष्य का धर्म है कि वह गुरु का सर्वथा अनुगामी हो ।
इसके सिवाय एक बात और है । आप लोग मुझे आचार्य 'पदवी दे रहे हैं। मैंने उसे जिन हेतुओं से स्वीकार किया उनका मैं दिग्दर्शन करा चुका हूँ। यदि यह सब कुछ ठीक है तो मैं आपसे कहता हूँ कि इस आचार्य पदवी के साथ ही पंन्यास सोहनविजय को उपाध्याय पदवी दी जावे । यद्यपि मेरे शिष्य वर्ग में इस समय उक्त पदवी के योग्य ललितविजय है। वह इससे (सोहनविजय से ) दीक्षा में बड़ा और ज्ञानसे अधिक है। परन्तु पंन्यास पदवी प्रथम इसकी हुई है । यदि पंन्यास ललितविजय यहाँ पर मौजूद होता तो निस्सन्देह यह पदवी उसी को दी जाती; मगर यह भी इस पदवी के योग्य ही है
और पंजाब के ऊपर इसका ममत्व सबसे बढ़कर है । इस लिये उक्त पदवी मैं इसी को देनी उचित समझता हूँ। मैंने स्वामी जी महाराज तथा यहाँ पर उपस्थित अन्य साधुओं से भी इस बारे में परामर्श कर लिया है। क्या आप सब को यह बात मंजूर है ?"
आपके इस कथन का समस्त संघ ने एक आवाज़ से
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