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आदर्श जीवन ।
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यही इच्छा है कि समाज के सिर पर आपका छत्र अनंत काल तक झूलता रहे और यह समाज उन्नति को प्राप्त हो ।
सेवकभागमल्ल मौद्गल ।
जयपुर।
ता. ९-१२-२४ स्वस्ति श्री लाहोर शुभ स्थान सकल शुभोपमाकरी विराज मान पूज्य श्री १०८ श्रीयुत आचार्य महाराज श्री विजयवल्लभ मूरिजी महाराज साहब की पवित्र सेवा में दास गुलाबचंद ढड्डा की सविनय वंदना मालूम होवे, आपका कृपा पत्र मिला। पढ़कर आनंद हुवा । मेरी दिली चाहना पंदरा बरस से आपको परमोपकारी स्वर्गवासी सूरीश्वर की गद्दी पर देखने की थी, आपकी दयालुता, योग्यता, धर्मज्ञता, विद्वत्ता, उपकार, तप, जप, क्षमा वगैरह गुणों को लेकर आपको इस पद पर पंदरा बरस पहिले ही देखने की इच्छा थी, परंतु समय आने पर फल मिलता है । मुझे अगर जरा भी सूचना किसी द्वारा इस शुभ क्रिया की मिल जाती तो मुझे कुछ भी तकलीफ होते हुवे भी मैं अवश्य हाजर होता, परंतु मैं इस बात के लिए बिलकुल अंधेरे में था, हालां के मैंने कई दफे यात्रा में विचार भी किया था कि प्रतिष्ठा के समय आचार्य पदवी दी जावे तो अती
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