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आर्दश जीवन।
wwwwwwrror जिनमें सादड़ी ( मारवाड़ ) की अखिल भारतवर्षीय श्वेता-- म्बर जैन कानफ्रन्स के अधिवेशन और महाराजश्रीके होशयारपुर के प्रवेशोत्सव पर, पंजाब के समग्र जैन समाज की तरफ से की गई संमिलित प्रार्थनाएँ खास तौर पर उल्लेख करने योग्य हैं।
इसी प्रकार कुछ समय बीत जाने पर पंजाब का सोया हुआ भाग जागा । गुरुभक्तिके आदर्श की जीती जागती मूर्ति, अपने चरण कमलों द्वारा बम्बई, गुजरात, काठियावाड़ मेवाड़, मारवाड़ और यू० पी० आदि देशों को पवित्र करती हुई १३-१४ वर्षों के बाद फिर पंजाब में पधारी । पधारते ही सबसे पहले उसका ध्यान समाज की विश्रृंखलता पर पहुँचा। उससे होने वाली भयंकर हानि पर विचार करते हुए समाज में संगठन पैदा करने की उसे नितान्त आवश्य कता प्रतीत हुई । तदर्थ श्रीआत्मानन्द जैन महासभा नाम की एक महती संस्था कायम की गई। वह आजतक कई सामा-- जिक सुधारोंमें अपनी सफलता का परिचय देचुकी है। . होशियारपुरका प्रवेश--विक्रम सम्वत् १९७८ फाल्गुन सुदी पञ्जमी को महाराज श्री का प्रथम प्रवेश होशियारपुर में हुआ। आप श्री का प्रवेश तो प्रथम अम्बाले में होना था परन्तु स्वर्गवासी लाला गुलाबराय गुज्जरमल की फर्म के मालिक लाला दौलतराम मुनिलाल जी आदि श्रीसंघ होशियारपुर के विशेष आग्रह और स्थानान्तरीय श्रीसंघ का उस
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