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आदर्श जीवन ।
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प्रात:काल ही ६ बजे पहले सब लोग मंडप में हाज़िर हो जावें, महाराज श्री को 'आचार्य पद' पर प्रतिष्ठित किया जायगा। सच हैभागती फिरती थी दुनिया, जब तलब करते थे हम । जब से नफरत हमने की, वह बेकरार आने को है ॥
(स्वामी रामतीर्थ) . आचार्य पद प्रतिष्ठा-सोमवार को प्रातःकाल ६ बजे से पहले ही स्त्री पुरुषों से सारा पंडाल खचाखच भर गया । मध्य में चाँदी का समवसरण स्थापित था जिसमें चारों तरफ विराजमान प्रभुमूर्तियाँ दर्शकों को, भावना वृद्धि द्वारा, कृतार्थ कर रही थीं। इस समय मंडप की शोभा कुछ अपूर्व ही थी जिस समय महाराज श्रीवल्लभाविजयजी वयोवृद्ध स्वामी श्री सुमतिविजयजी महाराजको साथ लिए हुए अपने शिष्य परिवार सहित मंडप में पधारे, उस समय उपस्थित जनता ने " भगवान महावीर स्वामी, स्वर्गवासी गुरु महाराज और आप श्रीकी जय" के बुलन्द नारों से आपका बड़े ही हर्ष के साथ स्वागत किया। इस समय लोगों के दिलों में जो अपूर्व उत्साह दिखाई देता था उसका वर्णन इस क्षुद्र लेखनी के सामर्थ्य से बाहिर है । हमारा यह विश्वास है कि यदि एक सप्ताह प्रथम आपकी आचाय पदवी सम्बन्धी विज्ञप्ति प्रकाशित हो जाती तो पंजाब का तो एक भी स्त्री पुरुष उस रोज़ ( आचार्य पदवी के रोज, घर में न रहता । सब के सब लाहौर में पहुँचते जा
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