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आदर्श जीवन
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सेवा विक्रम सम्वत् १९५३ में महाराज जी साहिब का जब स्वर्गवास हुआ तबसे पञ्जाब को सम्भालने का सारा भार आपके ऊपर आया, आपने हम पञ्जाब निवासियों के धार्मिक स्वत्वों का संरक्षण करते हुए समस्त जैन समाज की भी अमूल्य सेवा करने में कुछ बाकी नहीं रक्खा । यद्यपि आपकी जन्भूमि गुजरात देश है तथापि आपका अधिकतर जीवन पञ्जाब में ही बीता। आप जब गुजरात में गये तो वहाँ समय देख कर सामयिक शिक्षाकी ओर सबका ध्यान खींचा। जहाँ पर भी आप गये वहाँपर विद्याभिवृद्धि और धार्मिक शक्ति बढ़ाने की दृष्टि से ही आपने प्रयत्न किया। उसके फल स्वरूप श्री महावीर जैन विद्यालय आज बम्बई में मौजूद है। जहां रहकर हरसाल अनेक विद्यार्थी विद्याकी भिन्न २ शाखाओंमें उत्तीर्ण होते हुए धार्मिक शिक्षा भी प्राप्त करते हैं। यह कहना कोई अत्युक्ति नहीं कि उक्त विद्यालय जैसी दूसरी संस्था जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज में कहीं भी नहीं एवं पालनपुरका एक बोर्डिंग भी आपके शुभ प्रयत्न की साक्षी देरहा है, फिर मारवाड़ जैसे विकट प्रदेश में भी आपने विद्या के लिये अथक परिश्रम किया। ___ आफ् काठियावाड़ आदिमें १३ वर्ष तक भ्रमण करके हमारे सौभाग्यसे फिर पंजाब में पधारे । आप जब से इधर पधारे
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