________________
आदर्श जीवन।
४२९
vvvnravMP4
हुए श्रीसंघ पंजाबने गुजराँवाला शहरमें एक खास मीटिंग कायम की। क्योंकि पं० श्रीसोहनविजयजी महाराज तथा वृद्ध महात्मा स्वामीजी महाराज श्रीसुमतिविजयजीका चौमासा वहाँ था। सर्वानुमतसे "श्रीआत्मानन्द जैन महासमा" श्रीसंघ पंजाबके संगठन रूप कायम की गई। इस वर्षे इस सभाका यह चौथा सालाना जल्सा था ।
पालीतानके मुंडकेके संबंधमें सं० १९८१ के कार्तिक सुदीमें अहमदाबादके सेठ भोगीलाल ताराचंद जौहरीने आपके पास एक पत्र भेजा था, उसका आवश्यक भाग यहाँ दिया जाता है___fxxx श्वेतांबर जैनोंके लिए, निकट भविष्यमें एक महत्त्वका प्रश्न उपस्थित होनेवाला है। xxxxxxएजंसीने, बंबई सरकारने, और सेक्रेटरी ऑफ स्टेटने भी अपने विरुद्ध फैसला दिया है। इतिहास लंबा है । हृदयशोकसे भर आता है । [डकाकी ( अमुक रकम दे कर बंद कराया था उसकी) चालीस बरसकी मुद्दत ता. ३१ मार्च सन १९२६ के दिन पूर्ण होती है । (पालीताने के) दरबारके हकमें फैसला मिला है इस लिए वे विशेष रकम माँगेंगे । यह बात स्वाभाविक है। जैनसाधु पादचारी होनेसे, दूरसे आवश्यकताके समय तत्काल ही नहीं आ सकते, इस लिए तीर्थ शिरोमणि, मुकुट. समान सिद्धाचलजीके कामकी लागणीसे प्रेरित होकर आप शीघ्र ही इस तरफ़ पधारनेकी कृपा करें।x xxxx
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org