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आदर्श जीवन ।
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वहाँसे विहारकर आप लूणकरणसर पधारे। वहाँ ओसवालोंके साठ घर है सभी तेरह पंथी हैं। वहाँ एक मंदिरजी भी है । सेवक पूजा करता है। यहाँ आपको पानीकी बहुत तकलीफ़ पड़ी। कारण वहाँके कूओंका पानी बिलकुल खारा है । लोग चौमासेमें पानी जमा कर रखते हैं और घीकी तरह उसे काममें लाते हैं । तेरहपंथी श्रावकोंने आपको कूओंका ही पानी जो न्हानेके लिये गरम किया था दिया । वहाँ होशियारपुर संघके बीस आदमी विनती करने आये थे।
लूणकरणसरसे आगेके गाँवमें एक जागीरदार हैं । आप उन्हींकी गढ़ीमें ठहरे थे । आपके उपदेशसे उनके मनपर बड़ा प्रभाव पड़ा और उन्होंने शिकार नहीं करने की प्रतिज्ञा लेली।
वहाँसे महाजन पधारे। वहाँ एक मंदिर है और एक ही श्रावकका घर है। वह मंदिर नहीं जाता था। आपने उसको और उसकी पत्नीको दर्शनका नियम कराया।
महाजनसे आप मूरतगढ़ पधारे । वहाँ आर्यासमाजी और सनातनी प्रायः आपके पास आया करते थे । उनके साथ चार दिन तक आप ईश्वर जगत्कर्ता है या नहीं इस विषयमें वार्तालाप करते रहे । यहाँके लोगोंके दिलोंमें इस तरहकी बात बैठ गई थी कि जैन लोग अशुचिको नहीं मानते हैं । इसका कारण उधरके तेरहपंथी ढूंढिये थे। आपने इस बातको जैनधर्मका शुद्धोपदेश देकर दूर किया । वहाँ आपके पैरमें एक फोडा हुआ था। इस लिए इच्छासे कुछ समय अधिक
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