________________
आदर्श जीवन |
ललितविजयजी, पंन्यास उमंगविजयजी आदि सातों साधु परस्पर प्रेमका वर्ताव रक्खेंगे और सभी एक ही ध्येयके लिए समाजसेवाका प्रयत्न करनेमें किसी तरहकी कसर न रक्खेंगे । बंबईका जैनसंघ भी आये हुए मुनियोंको अपनायेगा और यथाशक्ति श्रीमहावीरजैनविद्यालय द्वारा जैनसमाजकी उन्नतिको बढ़ाने की कोशिश करनेमें पीछे पैर नहीं रक्खेगा |
इतना लिख, हृदयकी भावनाका यत्किंचित परिचय करा, पंन्यास ललितविजयजी, पंन्यास उमंगविजयजी आदि सात साधुओंको एवं श्रीसंघको धन्यवाद देता हुआ और बंबईके श्रीसंघकी इच्छाको, मैं स्वयं वहाँ पहुँच, पूर्ण न कर सका इसके लिए उससे क्षमा चाहता हुआ विरमता हूँ ।
ताजा कलम – विशेष प्रसन्नताकी बात यह हैं कि, जैनाचार्य श्री १००८ श्रीविजयवीरसूरिजी महाराजका चौमासा भी अपने शिष्यसमुदाय सहित बंबई में है, इससे बंबई के श्रीजैनसंघ को अधिक लाभ मिलेगा। आशा है बंबईका श्रीजैनसंघ इस सुनहरी अवसरका अच्छी तरहसे लाभ उठायेगा । इसी तरह आचार्य महाराज श्रीविजयवीरसूरि भी श्रीमहावीर जैनविद्यालयका निरीक्षण कर उसमें किसी तरहकी कमी दिखाई दे तो उसे दूर करने की कार्यवाहकों से प्रेरणा करेंगे और स्वयं भी योग्य सेवा कर अपने आत्माको कृतार्थ करेंगे एवं समाजको उसका कर्तव्य समझायँगे |
अमृतसर ( पंजाब ) वैशाख सं १९८०
Jain Education International
}
मे हूँ समस्त श्रीजैन संघका दास, मुनि वल्लभविजय ।
४२३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org