________________
आदर्श जीवन ।
-
~
-
वहाँ रहना पड़ा । वहाँ एक मंदिर है। श्रावकोंके तीस घर हैं। उनमेंसे आधे ढूंढिये हैं । वहाँ एक महीना बिराजे ।
सूरतगढ़से आप बडोपल पधारे । वहाँ एक चैत्यालय है। श्रावकोंके पाँच घर हैं। उनमें साठ आदमी हैं । सभी मंदिरमार्गी हैं । छः सात रोज आप यहाँ बिराजे ।
बडोपलसे विहार कर ग्रामानुग्राम विचरते हुए आप हनुमानगढ़ पधारे । वहाँ श्रावकोंके बीस घर हैं। उनमेंसे तीन पुजेरे हैं । बाकी तेरह पंथी। मंदिरमें पूजा प्रक्षालनका कोई खास प्रबंध नहीं था। आशातना भी होती थी। आपने उपदेश देकर पूजा प्रक्षालनका प्रबंध कराया और आशातना मिटाई।
हनुमानगढसे आप डबवाली मंडी पधारे। यहींसे पंजाब प्रारंभ होता है । पंजाब श्रीसंघके जुदा जुदा शहरोंसे करीब तीन सौ आदमी यहाँ आये थे। वे आपके दर्शन करने और अपने अपने शहरों में पहले पधारनेकी विनती करनेके इरादेसे आये थे । करीब दो माइल तक सामैयाके लिए लोग आये थे । पंजाबका डेप्युटेशन भी सामैयामें शामिल हो गया था। सामैयेमें करीबन १५०० आदमी थे । शहरमें पधार कर आपने सार्वजनिक व्याख्यान दिया। असहयोगका उस समय पूरा जोर था । करीब दो हजार लोग व्याख्यानमें आये थे । उस समय आपने वर्तमान परिस्थितिपर जो व्याख्यान दिया था उसका बड़ा प्रभाव पड़ा।
वहाँ सभी लोग अपने अपने शहरमें पधारनेकी आपसे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org