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आदर्श जीवन ।
लजी सुरानाकी प्रार्थनासे वहाँ आपने दो पूजाएँ बनाई । एक पाँच ज्ञानकी और दूसरी सम्यग्दर्शनकी। ___ अजमेर, सोजत, नागौर, बंबई, पाटन और अहमदाबाद
आदि शहरोंके लोग आपको वंदना करने आये थे। पंजाबके श्रीसंघका एक प्रतिनिधि मंडल आपके पास विनती करने आया था। उस वक्त पंजाबके भाईने एक गजल गाई थी उसे हम यहाँ देते हैं।
गजल । आप बिन पंजाबका अब हाल अबतर हो गया । ज्ञानरूपी धन लुटा गफलतकी नींदों सो गया ॥ १ ॥ आपकी ड्यूटी गुरूने दी थी लगा पंजाब पर । कर दो अदा ड्यूटी गुरूकी तुमको गुरु वर हो गया ॥ २ ॥ श्रीसूरि विजयानंद थे तब जगमगाता था यह देश । परलोक जबसे वे सिधारे देश बेपर हो गया ॥ ३ ॥ मुझी रही बाड़ी जो विनयानंदकी सरसब्ज थी। सींच दो जल-ज्ञानसे गर दिलमें गुरु डर हो गया ॥ ४ ॥ दीन दासोंके दुखोंको सुन दया आती नहीं । क्या वजह दिल मोम था वो अब यूँ पत्थर हो गया ॥ ५ ॥ वादा किया छ: बरसका यात्रा करेंगे घूम कर । पूरा किया है एक जुग मरुधरमें घर अब हो गया ॥ ६ ॥ भूल गये पंजाबको जिस पर कि अतिशय प्रेम था। उल्फत मरूधर (मारवाड़) से लगी वह हमसे बढ़ कर हो गया॥७॥
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