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आदर्श जीवन ।
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पहुंचा । आप वहाँसे रवाना हुए । वरकाणाजीसे पं० सोहनविजयजीका आपने बीकानेरकी तरफ विहार करवा दिया । आप भी बीकानेरकी तरफ पधारना चाहते थे; मगर संघके आग्रहसे शिवगंज पधारे। वहाँ कुछ दिन ठहरकर बीकानेर जानेका इरादा कर आपने शिवगंजसे विहार किया। पोमावा, वांकली होते हुए आप जब तखतगढ़ पहुँचे तब आपको किसीने पहचाना नहीं; आपके पधारनेके वहाँ पहले समाचार भी नहीं पहुँचे थे; मगर जब आप मंदिरमें दर्शन कर रहे थे तब दर्शन करके रवाना होते हुए एक श्रावकने धीरेसे पूछा ये कौन महाराज पधारे हैं ? साथके साधुओमेंसे. एक साधुने कहा कि, श्रीवल्लभविजयजी महाराज साहब पधारे हैं। इतना सुनते ही श्रावक दौड़ा हुआ गया। सारे बाजारमें और गाँवमें पवनवेगसे समाचार फैल गये । चारा तरफ़ दौड़ धाम मच गई । श्रावकोंने आकर वंदना की। सभी मिलकर आपको उपाश्रयमें ले गये । आपने मंगलीक सुनाई । दो दिन श्रावकोंको व्याख्यानामृत पिलाकर तीसरे दिन तखतगढ़से विहार कर क्रमशः आप पाली पधारे और पं० ललितविजयजी खुडाले गये।
बीकानेरसे धर्मात्मा सेठ सुमेरमलजी सुराणा आपके दर्शनार्थ और आपसे बीकानेरमें चौमासा करनेकी विनती करनेके लिए आये । आपने उस विनतीको स्वीकार कर लिया ।
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