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आदर्श जीवन।
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सादड़ी-पं० श्रीललितविजयजी गणी और उनके शिष्य मुनि श्रीप्रभाविजयजी।
तखतगढ़-पं. श्रीउमंगविजयजी गणी और उनके शिष्य मुनि श्रीदेवेन्द्रविजयजी। - खुडालेमें आपके साथ उस चौमासेमें पं० श्रीविद्याविजयजी गणी, मुनि श्रीविचारविजयजी और मुनि श्रीउपेन्द्रविजयजीथे।
आप जिस संकल्पसे खुडाले पधारे थे वह तो पूरा नहीं हुआ; क्योंकि सादडीवाले मिले नहीं और बालीवाले जो पालीमें गये थे उन्होनें फिर कभी मुख दिखाया ही नहीं। आखिरकार खुडालेकी धर्मशालामें स्थापन किये हुए गोडवाड जैन विद्यालयको 'श्री आत्मानन्द जैन पाठशाला-खुडाला' के रूपमें परिवर्तन करना पड़ा । वह पाठशाला खुडाला गाममें अच्छी तरह चल रही है । लोगोंकी इच्छा है कि, एक दफा फिर महाराजजी साहिबका यहाँ पधारना होवे तो इस पाठशालाकी और भी तरक्की हो जावे। ... . . पर्युषण समाप्त होनेके कुछ दिन बाद गोडवाड़के कई गाँवोंमें प्लेग फैल गया। खुडाला और सादड़ीमें भी प्लेग शुरू हो गया था। मुँडारेमें प्लेग नहीं था इस लिए पंन्यासजी श्रीललितविजयजी महाराज लोगोंके आग्रहसे मुँडारेमें आ गये। उन्होंने और श्रावकोंने हमारे चरित्रनायकसे भी मुंडारे पधारनेकी विनती की, मगर आप न पधारे। .. ... बाली, खुडालेसे तीन माइल है । वहाँ एक ओसवाल उस
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