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आदर्श जीवन ।
गाँवोंके श्रावकोंको यह जानकर संतोष हुए बिना न रहेगा कि, वे ही ऐसे नहीं हैं जिन्हें साधु मुनिराजोंके दर्शन दुर्लभ हैं, बल्के गुजरातमें भी - जिसके श्रावकोंको वे लोग भाग्यमान बताते हैं - ऐसे श्रावक हैं जिन्हें उन्हींकी तरह साधु मुनिराजोंके दर्शन नहीं मिलते । साधु महाराजोंके ऐसे स्थानोंमें विहार नहीं करनेसे जैन समाजकी एक बहुत बड़ी हानि हो रही है । वह हानि है उसके संख्याबलकी । वे लोग मर्दुमशुमारीमें अपने आपको जैन न बताकर हिन्दु बताते हैं और उनके हिन्दु बतानेसे जैनोंकी इतनी संख्या कम हो जाती है । अस्तु ।
सीनोरमें आपका व्याख्यान सुननेके लिए अजैन भी आते थे । वहाँ एक मुसलमान के हृदय पर आपके उपदेशने ऐसा प्रभाव डाला कि, उसने आपके पास मांस त्यागक प्रतिज्ञा लेली । वह एक परम श्रद्धावान श्रावककी तरह रोज आपके व्याख्यानमें आता था । इतना ही नहीं वह कई गाँवों - तक आपके साथ भी गया था ।
सीनोरसे विहार करके आप कोरल पधारे । कोरलके श्रीसंघ अन्तराय कर्मका पर्दा उस दिन अनेक बरसोंके बाद आपके पधारनेसे फटा ! वहाँके लोगोंका कथन था कि, अठारह बरसके बाद आपहीने अपने चरणकमलसे कोरलको पवित्र किया है । अठारह बरस पहले वहाँ प्रतिष्ठा हुई थी तब एक मुनि महाराज पधारे थे । श्रीसंघने बड़े उत्साह के साथ
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